Microsoft Innovations: Empowering the Mobile Experience
Microsoft is a global technology leader, constantly driving innovation and transforming the digital landscape. With cutting-edge mobile applications and cloud solutions, the company enables users to work, learn, and enjoy…
The World of Feelings
The World of Feelings Q: What are those driving forces that make us move or act?Ans.:These are our feelings we are controlled by them. There is tremendous power in feelings.…
The Best Present
The Best Present A couple was going through financially tumultuous time and it was their 25th wedding anniversary. They lived in a small tenement and had barely enough money to…
शक्ति का कार्य |
शक्ति का कार्य | शक्ति चाहे जीवित हो या अजीवित, बड़े अद्भुद कार्य करती है ! पुरानी बात है, बठिंडा (पंजाब) में एक डाक्टर साहब, जिनका नाम चन्दू लाल जी…
14. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बाते ।
14. देवात्मा अपनी देववाणी में फरमाते हैं, कि मैं इस धरती पर वह दीन व धर्म लाना चाहता हूँ, कि जो इसी दुनिया मे सब प्रकार के पापों तथा सब…
11. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
11. देवात्मा फरमाते हैं,कि प्रत्येक देश के प्रत्येक नागरिक के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह अपने देश की प्रत्येक जाति तथा उसके प्रत्येक दल/वर्ग एवं सम्प्रदाय आदि के…
13. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बाते ।
13. देवात्मा फरमाते हैं, जब तक किसी व्यक्ति में मिथ्या तथा अशुभ के लिए कोई आकर्षण वर्तमान रहता है, तब तक उस जन में उस पक्ष में “सत्य एवं शुभ…
10. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
10. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक नागरिक के लिए अति आवश्यक है, कि वह अपने देश की सुशासन-व्यवस्था के सुचारू रूप से कार्य निर्वहन के लिए कर आदि देने के…
9. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा
9. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक नागरिक के लिए अति आवश्यक है, कि वह अपने देश के शासन तथा प्रबंध विषयक उचित नियमों के प्रति उचित रूप से सम्मान-भाव का…
12. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
12. देवात्मा फरमाते हैं, कि हम किसी भी मनुष्य या किसी अन्य अस्तित्व के साथ बँधे हुए नहीं हैं । अर्थात हम किसी आस्तित्व के अनुरागी या प्रेमक नहीं हैं…
11. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
11. भगवान देवात्मा का दावा (Claim) है, कि कोई मनुष्यात्मा ऐसा नहीं है, जो मेरे साथ कुछ भी जुड़ा हो (अर्थात जिसने मेरे देव-प्रभावों को कुछ भी पाया हो), वह…
8. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
8. स्वदेश की न्याय-प्रणाली के विषय मे देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह यथा-सामर्थ्य अपने देश की शासन-प्रणाली के विषय मे अधिक…
10. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
10. देवात्मा फरमाते हैं, कि देवत्व का जो ख़मीर मेरे अंदर है, वह पिशाचत्व को ग़ारत करता है , इसलिए वह पिशाचत्व के विष से प्रभावित आत्माओं के उद्धार एवं…
7. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
7. भगवन फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन को चाहिए कि वह अपने देश की विविध प्रकार की हितकर वस्तुओं के विषय मे ज्ञान लाभ करके उसके अर्थात अपने देश के…
9. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
9. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा अपनी अद्वितीय देववाणी में फरमाते हैं, कि “पिशाचत्व के समुद्र में डूबते हुए आत्माओं के लिए जीवन की आशा का मैं एक…
6. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा –
6. स्वदेश के सम्बन्ध में देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है, कि वह यथासंभव तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपने देश के सुन्दर प्राकृतिक-दृश्यों के…
8. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
8. देवात्मा इस विषय मे और फरमाते हैं, कि जहां तक कोई आत्मा मेरे देव-प्रभावों को ग्रहण करता है, वहां तक उसकी योग्यता के अनुसार उसके भीतर अपनी पिशाचत्व सम्बन्धी…
5. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
5. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन के लिए अति आवश्यक है, कि वह अपने देश की सब प्रकार की विगत तथा वर्तमान अवस्था के विषय में ज्ञान लाभ करके…
7. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
7. देवात्मा फरमाते हैं, कि जहाँ तक भी कोई मनुष्यात्मा मेरे देव-प्रभावों को ग्रहण करता है, वहां तक उस जन की अपनी योग्यता केअनुसार उसके भीतर एक या दूसरी ऐसी…
4. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
4. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह अपने देश की धन, साहित्य, विज्ञान, साधारण विद्या, कला-कौशल, वाणिज्य, शिल्प, स्वास्थ्य एवं नीति आदि…
6. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
6. देवात्मा फरमाते हैं, कि अपने परम लक्ष्य अर्थात अद्वितीय जीवन-व्रत की सिद्धि के लिए मृत्यु के निकट पहुंचकर भी निरंतर संग्राम किए जाना मेरे जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य अर्थात…
3. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
3. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन के लिए यह अति आवश्यक हौ, कि वह अपने देशवासियों में शांति की रक्षा तथा उनकी कई प्रकार की उन्नति के लिए शासन-व्यवस्था…
2. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
2. प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह पृथ्वी के अन्य सभी देशों की अपेक्षा अपने देश के साथ अपना अधिक सम्बन्ध बोध करे, क्योंकि शेष देशों…
1. स्वदेश के संबन्ध में विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा की धर्म-शिक्षा |
1. प्रत्येक जन के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह अपने देश तथा देश वासियों के साथ अपना अति घनिष्ट सबंध अनुभव करे । तथा अपने देश वासियों के…
5. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
5. भगवान देवात्मा फरमाते हैं, कि किसी ऐसी सख़्त बीमारी के भिन्न जिसके कारण अपने शरीर पर मेरा कुछ भी नियंत्रण न रहे, मैं काम करने से बंद नहीं होता…
4. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
4. एकमात्र देवात्मा ही “सत्य तथा शुभ अनुरागी” हैं । अतः वह इस पथ से तिल भर भी इधर या उधर भटक नहीं सकते । अतः उनका यह दावा (claim)…
3. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
3. देवात्मा की अद्वितीय देवज्योति (अर्थात अद्वितीय सूझबूझ) को पाकर ही किसी सुपात्र जन को अपने आत्मा के अस्तित्व, उसके रोगो उन रोगों से उसके पतन, उस पतन के महा…
2. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
2. देवात्मा फरमाते हैं, कि चाहे हमारा सूर्य अपनी ज्योति देना छोड़ दे तथा चाहे यह धरती हमारे पांवों के नीचे से निकलकर चकनाचूर हो जाए, लेकिन मैं सत्य का…
1. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
1. देवात्मा फरमाते हैं — जो जन मेरे देवजीवन का अध्ययन करते हैं, उन पर यह सत्य भलीभाँत प्रगट होना चाहिए, कि मैं अपने आत्मा में प्रकृति के जिन विकासकारी…
किसी विषय मे सत्यज्ञान तथा उच्च-प्रेरणाएं लाभ करने का सबसे सरल उपाय
प्रिय मित्रो ! किसी विषय मे सत्यज्ञान तथा उच्च-प्रेरणाएं लाभ करने का सबसे सरल उपाय । यह है कि महान व्यक्तियों की जीवन-गाथाओं का हार्दिक अनुराग -भावों से…
आत्म-अंधकारग्रस्त मानवता |
भगवद गीता का यह वचन है, कि “श्रद्धावान्म लभते ज्ञानम् |” इसका अर्थ यह है, कि जो श्रद्धावान होते हैं, वही ज्ञान लाभ करते हैं…
“भगवान् देवात्मा” (हमारे आध्यात्मिक माता-पिता)
“भगवान् देवात्मा”(हमारे आध्यात्मिक माता-पिता)——————————————————–‘त्वमेव माता च पिता त्वमेवत्वमेव बन्धुश्चच सखा त्वमेव,त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव,त्वमेव सर्वम मम देव देव….. हे परम पूजनीय, सत्य देव श्री देवगुरु…
आत्म-चिन्तन
विद्वान् जन कहते हैं कि हर ताज ( CROWN ) सर पर सजाने के लिए होता है, लेकिन हर सर इस योग्य नहीं होता कि…
मैं आत्म-ह्त्या करना चाहता हूँ |
प्रिय साथियो ! आप उपरोक्त शीर्षक पढ़ कर आश्चर्यचकित हो गए होंगे, कि ये मैं क्या लिख रहा हूँ, और ऐसा क्यूँ चाहता हूँ ? ऐसा नहीं…
आपकी ज्योति में हमें अपने अपराध दिखाई देते हैं |
जीवन दाता भगवन ! एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की…
भगवान् देवात्मा एक जन्मजात आध्यात्मिक-सूर्य !
जिस प्रकार एक बच्चा अन्धकार में बहुत असहज अनुभव करता है, ठीक उसी प्रकार, सबसे विकसित प्रजाति का सदस्य होने के कारण, ‘मनुष्य’ भी अज्ञान के अन्धकार में…
हमारी ज़िन्दगी का पॉयलट कौन है ?
हमारी ज़िन्दगी का पॉयलट कौन है ? प्रिय मित्रो ! हमारा ‘मनुष्य-जीवन’ एक वायुयान की न्याईं है, जिसको चलाने वाला पॉयलट अपनी क्षमता तथा योग्यता से चाहे तो सुरक्षित गंतव्य तक…
माता-पिता के परम उपकार |
माता-पिता के परम उपकार | एक एक माता अपनी संतान को अपने गर्भ में नौ महीने रखकर, असह्य कष्टों में से गुज़रती है | संतान के जन्म-काल के समय कितनी ही…
मृत्यु से डर |
मृत्यु से डर |“मृत्यु से डर क्यों लगता है, तथा इसके डर से कैसे बचा जा सकता है ? इसके बारे में मैं अपनी अति तुच्छ बुद्धी के अनुसार “विज्ञान-मूलक…
विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बाते ।
22. देवात्मा फरमाते हैं — आपको अपने आत्मा के सत्य-मोक्ष एवं विकास के लिए देवात्मा के साथ जुड़ने की अर्थात उनकी शरणागत होने…
सबसे बड़ा धर्म है “विकासक्रम”
सबसे बड़ा धर्म है “विकासक्रम” – जो विज्ञान के द्वारा समर्थित है । प्रिय मित्रो ! प्रकृति अर्थात Nature एक है, विज्ञान बहुत से हैं । परन्तु उनके सच्चे, अटल…
विज्ञान मूलक सत्य-धर्म के सम्बन्ध में चार महान सत्य
विज्ञान मूलक सत्य-धर्म के सम्बन्ध में चार महान सत्य “विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म” क्या है ? प्रकृति-सम्मत वह विधि जिसे अपनाकर मनुष्य अपने मूल अस्तित्व “आत्मा” तथा उससे…
नरक का अर्थ
आज का चिन्तन नरक का अर्थ वह स्थान नहीं जहाँ गलत कर्म करने वाला आदमी मरने के बाद जाता है अपितु वह…
आत्मा का आहार क्या है ?
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि आत्मा का आहार क्या है ? “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की अद्वितीय शिक्सग के अनुसार —जिस तरह पौष्टिक एवं संतुलित…
क्या मरने के पश्चात पुनर्जन्म होता है ?
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि क्या मरने के पश्चात पुनर्जन्म होता है ? आपकी सेवा में उत्तर उपस्थित है ।नहीं, कदापि नहीं । मरने के पश्चात कोई जीव…
क्या आत्मा मृत्यु को प्राप्त होती है?
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि क्या आत्मा मृत्यु को प्राप्त होती है, या अधोगति को ?“विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा” की अद्वितीय शिक्षा के…
आजकल के धार्मिक-बाबाओं के विषय में |
प्रिय मित्रो ! आजकल बहुत सारे तथाकथित धार्मिक-बाबाओं के किस्से चारों तरफ फैले हुए हैं | यह सब क्या है ? धर्म के नाम पर इतना पाप,…
स्वभाव कैसा हो?
आज का चिन्तन जहाँ पर स्वभाव में मधुरता न हो वहाँ पर पद-प्रतिष्ठा कोई मायने नहीं रखती और जिसका स्वभाव…
तथाकथित धार्मिक पाखण्डी-बाबाओं से रक्षा के उपाय |
प्रिय मित्रो ! कल मैंने एक लेख “आजकल के धार्मिक-बाबाओं के विषय में” अपलोड किया था, जिसमे यह स्पष्ट करने का प्रयास किया था, कि साधारण लोगों को छोड़कर यदि…
हमारे अस्तित्व के दो मुख्य भाग (parts) हैं
प्रिय मित्रो ! हमारे अस्तित्व के दो मुख्य भाग (parts) हैं, जिनमे से एक को शरीर, जो जड़ पदार्थों से बना होता है, तथा दूसरा जीवनी-शक्ति अर्थात आत्मा हैं ।…
धर्म किसे कहते है ?
धर्म की विज्ञान मूलक परिभाषा :-जिस तरह शरीर को निरोग रखने, उसका रख रखाव रखने तथा शरीर के प्रत्येक अंग को प्रकृति-प्रदत्त कार्यों को सुचारू रूप से करने के योग्य…
मानव भक्षी |
पुराने ज़माने का इंसान जो आदिम-युग में जी रहा था, उसकी सबसे बड़ी ज़रुरत केवल खाने के लिए भोजन, जंगली जानवरों से शरीर की रक्षा तथा ऐसी ही शरीर सम्बन्धी…
वस्तु का मूल्य
कोई भी वस्तु हमारे लिए दो पक्षों को लेकर मूल्यवान होती है । पहली — वह कितनी भव्य, कितनी ज्ञानवर्द्धक तथा कितनी हितकर है । दूसरी – वह हमें कितना…
पूरी सृष्टि (Nature )
प्रिय मित्रों ! पूरी सृष्टि (Nature )एक है तथा इसमें जितने भी बेजान तथा जानदार अस्तित्व हैं, वह सब आपस मे कितने ही सूत्रों के द्वारा Direct or indirect रूप…
माता-पिता के उदगार
सात अप्रैल को मैने माता-पिता के संबंध में चार लोगों के भाव-प्रकाश बहुत संक्षिप्त शब्दों में पोस्ट किये थे ।अब तीन माता/पिताओं के भाव-प्रकाश बहुत संक्षेप में नीचे उद्धृत कर…
‘अद्वितीय देव-प्रभाव’
प्रिय मित्रो ! हम सब अच्छी तरह जानते हैं, कि जब किसी रोगी का ठीक इलाज होने लगता है, उसे ठीक दवा मिलने लगती, तो तुरंत रोग के ठीक होने…
विवाद क्यों पैदा होता है ?
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि विवाद क्यों पैदा होता है ? इसका समाधान क्या है ? भगवान देवात्मा की अद्वितीय धर्म-शिक्षा के अनुसार मुझे जो उत्तर समझ आ…
हमारे सच्चे जीवन पथ दर्शक
सूर्य हमारे सौर्य-परिवार का मुखिया ही नहीं, अपितु स्थूल शरीर की दृष्टि से हमारा जन्म-दाता, रक्षा-कर्ता, जीवनदाता भी है । ठीक इसी तरह — “विज्ञान मूलक सत्य धर्म के प्रवर्तक…
ऊंचे आचरण की आवश्यकता क्यों होती है ?
अपनी बात दूसरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज़ की नहीं, अपितु ऊंचे चरित्र एवं ऊंचे आचरण की आवश्यकता होती है ।ऊंचे चरित्र तथा ऊंचे आचरण वाले व्यक्ति की बात…
किसी बुराई से कैसे निकले?
पहले मनुष्य को रोशनी मिले, बुरी बात उसे बुरी लगे। फिर उसको देव तेज मिले और उस बुरी बात के प्रति उसमें यथेष्ठ उच्च घृणा पैदा हो। तब कहीं उस…
क्या आध्यात्म में मृत्यु पर चिंतन करना आवश्यक है ?
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि क्या आध्यात्म में मृत्यु पर चिंतन करना आवश्यक है ? भगवान देवात्मा की अद्वितीय शिक्षा इस विषय मे स्पष्ट करती है कि —शत…
अपनी बात दूसरों को सुनाने के लिए
अपनी बात दूसरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज़ की नहीं, अपितु ऊंचे चरित्र एवं ऊंचे आचरण की आवश्यकता होती है ।ऊंचे चरित्र तथा ऊंचे आचरण वाले व्यक्ति की बात…
शुभकामना कब, किसके लिए की जाए?
*शुभकामना किसी के लिए भी की जा सकती है। चाहे हम उसे जानते हो या न भी जानते हो। शुभकामना निकट व दूर किसी के लिए कहीं से भी की…
ज़िंदगी एक बहुत बड़ा कर्तव्य है ।
जीवन कोई परिहास नहीं है । मैने कई मित्रों के द्वारा भेजी गई ऐसी बेसिर पैर की बातें पढ़ी हैं । कृपया इस कटु सत्य पर ध्यान दें । वास्तव…
[मनुष्य किसे कहते हैं ?
1. आत्मा तथा शरीर नामक दो विशेष प्रकार के गठन-प्राप्त जीवित अस्तित्वों से संयुक्त व्यक्ति को मनुष्य कहते हैं ।इसी प्रकार, कई प्रकार की शक्तियोंद से विशिष्ट जो जीवित-अस्तित्व मनुष्य…
माता-पिता के प्रति सेवा-भाव ।
‘माता-पिता’ के रूप में कितना सुरक्षित, कितना स्नेहपूर्ण, कितना ममत्वपूर्ण तथा कितना त्यागमय संसार छिपा हुआ है, इसका अनुमान लगाना प्रत्येक जन के लिए आसान नहीं ।किसी ने सत्य ही…
देवत्व किरणे—-87
पाप को शुभ की शक्ति से गारत करना, मिथ्या को सत्य की शक्ति से नष्ट करना देवात्मा का काम है। नेचर ने जो देवात्मा को पैदा किया है, वह इसलिए…
Birth of Soul
The individual human soul begins its career in the womb of a woman, after man’s sperm in certain conditions penetrates her ovum. The ovum is thus fertilized and the female…
A Father Wish
A new history you’ll create,Provided you keep your faith,A better new life you’ll get,Provided you follow the steps. Never forget in your life, What is true and what is right,…
The Development of the Feeling of ‘Vairagya’ or Non Attachment
The kind of ‘vairagya’ or non-attachment that my Guru taught me and which he practised in his life, did not necessitate the giving up of the house-holder’s life or undergoing…
Joy in Failures
Let’s look at ‘joy in failures’ for today’s topic. You might say what kind of topic is this. Well, most of us have heard the phrase ‘Failure is the road…
Power Of Prayer
Prayer is a very old term which actually means asking your God or Guru for some or the other kind of blessing, favor or any other object of one’s desire.…