8. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
8. स्वदेश की न्याय-प्रणाली के विषय मे देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह यथा-सामर्थ्य अपने देश की शासन-प्रणाली के विषय मे अधिक से अधिक सत्य-ज्ञान लाभ करके देश के साथ अपने हार्दिक सम्बन्ध को उन्नत करे ।प्रिय मित्रो ! मैं केन्द्र सरकार के एक विभाग में सेवा-निवृत…