3. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —
3. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन के लिए यह अति आवश्यक हौ, कि वह अपने देशवासियों में शांति की रक्षा तथा उनकी कई प्रकार की उन्नति के लिए शासन-व्यवस्था विषयक आवश्यकता को भलीभांत अनुभव करे । तथा ऐसी व्यवस्था में समय समय पर उन्नति-मूलक उच्च-परिवर्तन की ज़रूरत को भी भलीभांत अनुभव करे ।देवात्मा शायद…