हमारे अस्तित्व के दो मुख्य भाग (parts) हैं
प्रिय मित्रो ! हमारे अस्तित्व के दो मुख्य भाग (parts) हैं, जिनमे से एक को शरीर, जो जड़ पदार्थों से बना होता है, तथा दूसरा जीवनी-शक्ति अर्थात आत्मा हैं ।…
प्रिय मित्रो ! हमारे अस्तित्व के दो मुख्य भाग (parts) हैं, जिनमे से एक को शरीर, जो जड़ पदार्थों से बना होता है, तथा दूसरा जीवनी-शक्ति अर्थात आत्मा हैं ।…
धर्म की विज्ञान मूलक परिभाषा :-जिस तरह शरीर को निरोग रखने, उसका रख रखाव रखने तथा शरीर के प्रत्येक अंग को प्रकृति-प्रदत्त कार्यों को सुचारू रूप से करने के योग्य…
पुराने ज़माने का इंसान जो आदिम-युग में जी रहा था, उसकी सबसे बड़ी ज़रुरत केवल खाने के लिए भोजन, जंगली जानवरों से शरीर की रक्षा तथा ऐसी ही शरीर सम्बन्धी…
कोई भी वस्तु हमारे लिए दो पक्षों को लेकर मूल्यवान होती है । पहली — वह कितनी भव्य, कितनी ज्ञानवर्द्धक तथा कितनी हितकर है । दूसरी – वह हमें कितना…
प्रिय मित्रों ! पूरी सृष्टि (Nature )एक है तथा इसमें जितने भी बेजान तथा जानदार अस्तित्व हैं, वह सब आपस मे कितने ही सूत्रों के द्वारा Direct or indirect रूप…
सात अप्रैल को मैने माता-पिता के संबंध में चार लोगों के भाव-प्रकाश बहुत संक्षिप्त शब्दों में पोस्ट किये थे ।अब तीन माता/पिताओं के भाव-प्रकाश बहुत संक्षेप में नीचे उद्धृत कर…
प्रिय मित्रो ! हम सब अच्छी तरह जानते हैं, कि जब किसी रोगी का ठीक इलाज होने लगता है, उसे ठीक दवा मिलने लगती, तो तुरंत रोग के ठीक होने…
एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि विवाद क्यों पैदा होता है ? इसका समाधान क्या है ? भगवान देवात्मा की अद्वितीय धर्म-शिक्षा के अनुसार मुझे जो उत्तर समझ आ…
सूर्य हमारे सौर्य-परिवार का मुखिया ही नहीं, अपितु स्थूल शरीर की दृष्टि से हमारा जन्म-दाता, रक्षा-कर्ता, जीवनदाता भी है । ठीक इसी तरह — “विज्ञान मूलक सत्य धर्म के प्रवर्तक…
अपनी बात दूसरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज़ की नहीं, अपितु ऊंचे चरित्र एवं ऊंचे आचरण की आवश्यकता होती है ।ऊंचे चरित्र तथा ऊंचे आचरण वाले व्यक्ति की बात…