आत्म-अंधकारग्रस्त मानवता |
भगवद गीता का यह वचन है, कि “श्रद्धावान्म लभते ज्ञानम् |” इसका अर्थ यह है, कि जो श्रद्धावान होते हैं, वही ज्ञान लाभ करते हैं…
भगवद गीता का यह वचन है, कि “श्रद्धावान्म लभते ज्ञानम् |” इसका अर्थ यह है, कि जो श्रद्धावान होते हैं, वही ज्ञान लाभ करते हैं…
“भगवान् देवात्मा”(हमारे आध्यात्मिक माता-पिता)——————————————————–‘त्वमेव माता च पिता त्वमेवत्वमेव बन्धुश्चच सखा त्वमेव,त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव,त्वमेव सर्वम मम देव देव….. हे परम पूजनीय, सत्य देव श्री देवगुरु…
विद्वान् जन कहते हैं कि हर ताज ( CROWN ) सर पर सजाने के लिए होता है, लेकिन हर सर इस योग्य नहीं होता कि…
प्रिय साथियो ! आप उपरोक्त शीर्षक पढ़ कर आश्चर्यचकित हो गए होंगे, कि ये मैं क्या लिख रहा हूँ, और ऐसा क्यूँ चाहता हूँ ? ऐसा नहीं…
जीवन दाता भगवन ! एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की…
जिस प्रकार एक बच्चा अन्धकार में बहुत असहज अनुभव करता है, ठीक उसी प्रकार, सबसे विकसित प्रजाति का सदस्य होने के कारण, ‘मनुष्य’ भी अज्ञान के अन्धकार में…
हमारी ज़िन्दगी का पॉयलट कौन है ? प्रिय मित्रो ! हमारा ‘मनुष्य-जीवन’ एक वायुयान की न्याईं है, जिसको चलाने वाला पॉयलट अपनी क्षमता तथा योग्यता से चाहे तो सुरक्षित गंतव्य तक…
माता-पिता के परम उपकार | एक एक माता अपनी संतान को अपने गर्भ में नौ महीने रखकर, असह्य कष्टों में से गुज़रती है | संतान के जन्म-काल के समय कितनी ही…
मृत्यु से डर |“मृत्यु से डर क्यों लगता है, तथा इसके डर से कैसे बचा जा सकता है ? इसके बारे में मैं अपनी अति तुच्छ बुद्धी के अनुसार “विज्ञान-मूलक…
22. देवात्मा फरमाते हैं — आपको अपने आत्मा के सत्य-मोक्ष एवं विकास के लिए देवात्मा के साथ जुड़ने की अर्थात उनकी शरणागत होने…