आपकी ज्योति में हमें अपने अपराध दिखाई देते हैं |
जीवन दाता भगवन ! एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की…
जीवन दाता भगवन ! एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की…
जिस प्रकार एक बच्चा अन्धकार में बहुत असहज अनुभव करता है, ठीक उसी प्रकार, सबसे विकसित प्रजाति का सदस्य होने के कारण, ‘मनुष्य’ भी अज्ञान के अन्धकार में…