9. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक नागरिक के लिए अति आवश्यक है, कि वह अपने देश के शासन तथा प्रबंध विषयक उचित नियमों के प्रति उचित रूप से सम्मान-भाव का बोध प्राप्त करे तथा उचित रूप से सम्मान प्रदर्शन करे ।
प्रिय मित्रो ! यह हमारा परम कर्तव्य है, कि हम अपने राष्ट्र – जिसमें हमारी सर्वस्व रक्षा तथा हमारा सम्पूर्ण हित निहित है – हृदयगत भावों से सम्मान प्रदर्शित करें । देवात्मा ने थोड़े से शब्दों में बहु-मूल्य ज्ञान दिया है कि — सच्ची स्वतंत्रता हितकर नियमों के पालन करने में है । हम किसी के दास नहीं रहना चाहते, बल्कि सच्चे अर्थों में स्वतंत्र रहना चाहते हैं । अतः यदि हम देश की प्रबन्ध विषयक व्यवस्था का सच्चा सम्मान करते हैं, तो हमें कोई हानि नहीं पहुंचा सकता ।
प्रिय मित्रो ! यह हमारा परम कर्तव्य है, कि हम अपने राष्ट्र – जिसमें हमारी सर्वस्व रक्षा तथा हमारा सम्पूर्ण हित निहित है – हृदयगत भावों से सम्मान प्रदर्शित करें । देवात्मा ने थोड़े से शब्दों में बहु-मूल्य ज्ञान दिया है कि — सच्ची स्वतंत्रता हितकर नियमों के पालन करने में है । हम किसी के दास नहीं रहना चाहते, बल्कि सच्चे अर्थों में स्वतंत्र रहना चाहते हैं । अतः यदि हम देश की प्रबन्ध विषयक व्यवस्था का सच्चा सम्मान करते हैं, तो हमें कोई हानि नहीं पहुंचा सकता ।
शुभ हो ।