5. भगवान देवात्मा फरमाते हैं, कि किसी ऐसी सख़्त बीमारी के भिन्न जिसके कारण अपने शरीर पर मेरा कुछ भी नियंत्रण न रहे, मैं काम करने से बंद नहीं होता (अर्थात निरन्तर कार्य करता रहता हूँ) । मैं चाहता हूँ, कि मृत्यु के बिस्तर पर लेटा हुआ होकर भी, जहां तक मेरे लिए सम्भव हो, मैं किसी के सम्बन्ध में तथा किसी के हित के लिए कुछ न कुछ हितकर कार्य कर जाऊं ।
प्रिय मित्रो ! भगवान देवात्मा के धर्म-विज्ञान के अनुसार प्रकृति में प्रत्येक अस्तित्व निर्माणकारी कार्य में सहायक होकर अधिक से अधिक कार्य सम्पन्न करने के लिए जन्म लेता है । जो जीव प्रकृति के विकास-विषयक कार्य मे सहायक नहीं बनता, वह “विनाशक्रम” के अनुसार धीरे धीरे पूरी तरह नष्ट हो जाता है ।
प्रिय मित्रो ! भगवान देवात्मा के धर्म-विज्ञान के अनुसार प्रकृति में प्रत्येक अस्तित्व निर्माणकारी कार्य में सहायक होकर अधिक से अधिक कार्य सम्पन्न करने के लिए जन्म लेता है । जो जीव प्रकृति के विकास-विषयक कार्य मे सहायक नहीं बनता, वह “विनाशक्रम” के अनुसार धीरे धीरे पूरी तरह नष्ट हो जाता है ।
काश : हम भगवान देवात्मा के देवप्रभावों को प्राप्त करने के अधिकारी हो सकें !!