4. देवात्मा फरमाते हैं, कि प्रत्येक जन के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह अपने देश की धन, साहित्य, विज्ञान, साधारण विद्या, कला-कौशल, वाणिज्य, शिल्प, स्वास्थ्य एवं नीति आदि विषयक सब प्रकार की उन्नति के लिए अपने हृदय में गहरी आकांक्षा अनुभव करे।
देवात्मा पुनः फरमाते हैं, कि प्रत्येक देशवासी अपने देश-वासियों के नाना प्रकार के कष्टों एवं अभावों को यथासाध्य दूर करने के निमित्त अपने हृदय से गहरे तौर पर आकांक्षी हो ।
प्रिय मित्रो ! एक धर्मवान व्यक्ति के लिए दो ही प्रकार के कार्य होते हैं । एक वह जिनको करना अति आवश्यक है तथा दूसरे वह जो पूर्णतया वर्जित हैं तथा जिनको नहीं करना भी उतना ही ज़रूरी है ।
हम यह मॉनकर चलें, कि हमारा देश एक बहुत बड़ी नौका है, जिसमे हम सब देशवासी जीवन-यात्रा कर रहे हैं । यदि प्रत्येक यात्री अपने अपने हिस्से का एक-एक छेद भी उस नौका में करने लग जाये, तो उस नाव में करोड़ों छेद हो जाएंगे, तथा हम सब जल में डूब कर मर जायेंगे ।
क्या देशवासी ऐसा तो नहों कर रहे ????
काश: हम सबका शुभ हो सके !!
देवात्मा पुनः फरमाते हैं, कि प्रत्येक देशवासी अपने देश-वासियों के नाना प्रकार के कष्टों एवं अभावों को यथासाध्य दूर करने के निमित्त अपने हृदय से गहरे तौर पर आकांक्षी हो ।
प्रिय मित्रो ! एक धर्मवान व्यक्ति के लिए दो ही प्रकार के कार्य होते हैं । एक वह जिनको करना अति आवश्यक है तथा दूसरे वह जो पूर्णतया वर्जित हैं तथा जिनको नहीं करना भी उतना ही ज़रूरी है ।
हम यह मॉनकर चलें, कि हमारा देश एक बहुत बड़ी नौका है, जिसमे हम सब देशवासी जीवन-यात्रा कर रहे हैं । यदि प्रत्येक यात्री अपने अपने हिस्से का एक-एक छेद भी उस नौका में करने लग जाये, तो उस नाव में करोड़ों छेद हो जाएंगे, तथा हम सब जल में डूब कर मर जायेंगे ।
क्या देशवासी ऐसा तो नहों कर रहे ????
काश: हम सबका शुभ हो सके !!