3. देवात्मा की अद्वितीय देवज्योति (अर्थात अद्वितीय सूझबूझ) को पाकर ही किसी सुपात्र जन को अपने आत्मा के अस्तित्व, उसके रोगो उन रोगों से उसके पतन, उस पतन के महा भयानक फलों तथा उनसे सच्ची मुक्ति एवं आत्मा मे उच्च-जीवन के विकास आदि के विषय मे सत्य बोध होता या हो सकता है, अन्यथा बिल्कुल नहीं ।
काश : हम सबके शुभ का मार्ग प्रशस्त हो !!