12. देवात्मा फरमाते हैं, कि हम किसी भी मनुष्य या किसी अन्य अस्तित्व के साथ बँधे हुए नहीं हैं । अर्थात हम किसी आस्तित्व के अनुरागी या प्रेमक नहीं हैं । हम केवल सत्य एवं शुभ के अनुरागी हैं तथा इन अनुरागों को मुख्य रखकर ही प्रत्येक अस्तित्व के साथ सबंध रखते हैं ।
प्रिय मित्रो ! देवात्मा के अतिरिक्त आजतक विश्व में कोई अस्तित्व पैदा नहीं हुआ, जिसने “आत्म तथा धर्म” के सत्य-ज्ञान, आत्म-कल्याण तथा आध्यात्मिक-सौन्दर्य को संसार मे स्थापित करने के लिए जीवनव्रत ग्रहण किया हो तथा इस अद्वितीय परंतु अति दुरूह कार्य को पूर्ण करने का बीड़ा उठाया हो । यह बोली मानवता के लिए अभी पूर्णतः नई तथा अबूझ अर्थात न समझ आने वाली है ।
काश ! हम सबके शुभ का मार्ग प्रशस्त हो ।
प्रिय मित्रो ! देवात्मा के अतिरिक्त आजतक विश्व में कोई अस्तित्व पैदा नहीं हुआ, जिसने “आत्म तथा धर्म” के सत्य-ज्ञान, आत्म-कल्याण तथा आध्यात्मिक-सौन्दर्य को संसार मे स्थापित करने के लिए जीवनव्रत ग्रहण किया हो तथा इस अद्वितीय परंतु अति दुरूह कार्य को पूर्ण करने का बीड़ा उठाया हो । यह बोली मानवता के लिए अभी पूर्णतः नई तथा अबूझ अर्थात न समझ आने वाली है ।
काश ! हम सबके शुभ का मार्ग प्रशस्त हो ।