शुभकामना निकट व दूर किसी के लिए कहीं से भी की जा सकती है।
शुभकामना कभी भी कर सकते हैं 24 घंटे में प्रत्येक पल इस श्रेषट कार्य के लिए उपयुक्त है।
शुभकामना का अभ्यास शुरू करने वाले जन आरम्भ में तीन बार भोजन के समय, भोजन की थाली के सामने आ जाने पर चारों जगतो (मनुष्य, पशु, वनस्पति व भोातिक ) के लिए कृतज्ञ भाव से इन जगतो के उपकारों को स्मरण करते हुए चार बार शुभ हो! शुभ हो! शुभ हो! शुभ हो। का उच्चारण करें। रात्रि में शुभकामना कर के सोने से नींद अच्छी आएगी। वयर्थ की चिंताएं भाग जाएंगी। (जब तक नींद नहीं आए’ शुभ हो!’ का जाप करें।)
* प्रात:4 से 6 बजे के मध्य का समय साधना व शुभकामना के लिए सर्व श्रेष्ठ है।
* कष्ट, बीमारी चिन्ता ग्रस्त होने पर “शुभ हो!”का बार बार उच्चारण (जाप) करें। प्रत्यक्ष लाभ का अनुभव करें।
शुभ हो! शुभ हो! शुभ हो! शुभ हो।