सात अप्रैल को मैने माता-पिता के संबंध में चार लोगों के भाव-प्रकाश बहुत संक्षिप्त शब्दों में पोस्ट किये थे ।
अब तीन माता/पिताओं के भाव-प्रकाश बहुत संक्षेप में नीचे उद्धृत कर रहा हूँ, जिनको पढ़कर नए जनों में यह आकांक्षा प्रस्फुटित होनी चाहिए, कि भगवान देवात्मा की देव-ज्योति (आध्यात्मिक-विचारशैली) कैसी होगी, जिससे प्रेरित होकर किसी जन को अपने संबंधी का उपकारी तथा गुणवान रूप नज़र आने लगता है तथा अपने दोष एवं पाप नज़र आने लगते हैं ।
कृपया अवलोकन तथा विचार करें ।
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अब तीन माता/पिताओं के भाव-प्रकाश बहुत संक्षेप में नीचे उद्धृत कर रहा हूँ, जिनको पढ़कर नए जनों में यह आकांक्षा प्रस्फुटित होनी चाहिए, कि भगवान देवात्मा की देव-ज्योति (आध्यात्मिक-विचारशैली) कैसी होगी, जिससे प्रेरित होकर किसी जन को अपने संबंधी का उपकारी तथा गुणवान रूप नज़र आने लगता है तथा अपने दोष एवं पाप नज़र आने लगते हैं ।
कृपया अवलोकन तथा विचार करें ।
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1. बेटा मदन, तूने मेरे पेट पड़े का बदला उतार दिया ।
उपरोक्त शब्द एक ऐसी माता अपने बेटे मदन की शान में प्रकट करने के लिए विवश हो गई, जिस बेटे ने एक बार अपनी माता से झगड़ा करते हुए कभी यह कहा था, “पत्थर मार कर रांड का सिर फोड़ दूंगा” ; आप अनुमान लगा सकते हैं, कि यह बेटा अपनी माता के लिए कितना कृतज्ञ, श्रद्धावान तथा सेवाकारी प्रमाणित हुआ होगा, जो माता उसको यह प्रमाण-पत्र देने के लिए विवश हुई होगी ।
भगवान देवात्मा सभी मनुष्यों को ऐसी ही हितकर संतान बनाना चाहते हैं ।
उपरोक्त शब्द एक ऐसी माता अपने बेटे मदन की शान में प्रकट करने के लिए विवश हो गई, जिस बेटे ने एक बार अपनी माता से झगड़ा करते हुए कभी यह कहा था, “पत्थर मार कर रांड का सिर फोड़ दूंगा” ; आप अनुमान लगा सकते हैं, कि यह बेटा अपनी माता के लिए कितना कृतज्ञ, श्रद्धावान तथा सेवाकारी प्रमाणित हुआ होगा, जो माता उसको यह प्रमाण-पत्र देने के लिए विवश हुई होगी ।
भगवान देवात्मा सभी मनुष्यों को ऐसी ही हितकर संतान बनाना चाहते हैं ।
2. अफसोस ! मैने अपने पिताजी की वह सेवा नहीं की, जो सेवा मेरा बेटा (शादीलाल) मेरी करता है । वह मुझे मरने भी नहीं देता । मैं इतने फल, अच्छी से अच्छी दवा तथा सेवा पा रहा हूँ, कि मैं धन्य-धन्य हो रहा हूँ ।
(परलोकवासी श्रीमान देवीचंद जी, मोगा)
(परलोकवासी श्रीमान देवीचंद जी, मोगा)
3. मैं भगवान देवात्मा के उन उच्च जीवनधारी प्रचारकों तथा सेवकों को अपने हाथ से खाना खिलाना चाहती हूं, जिन्होंने मेरे बेटे को श्रवण कुमार बना दिया ।
(श्रीमान रूप चंद जी की परलोकवासी माताजी)