एक मित्र ने प्रश्न किया है, कि क्या आत्मा मृत्यु को प्राप्त होती है, या अधोगति को ?
“विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा” की अद्वितीय शिक्षा के अनुसार जो उत्तर मुझे सूझ रहा है, आप सबकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ । यथा :
शरीर की तरह हमारी जीवनी-शक्ति अर्थात आत्मा भी धरती पर वर्तमान जीवन विषयक सामग्री तथा अनुकूल वातावरण की उपज है;तथा जीवन विषयक हितकर नियमों के अधीन ही सुरक्षित रह सकती है एवं विकसित हो सकती है, अन्यथा शरीर ही की तरह रोग ग्रस्त होकर दुर्बल होते होते एक दिन पूरी तरह नष्ट हो जाती है, अर्थात मर जाती है । आत्मा की रोग-ग्रस्त अवस्था ही वास्तव में इसकी अधोगति है । यदि इस अधोगति से मुक्ति न मिल सके, तो मनुष्यात्मा एक दिन पूरी तरह मर जाती है । इसका कोई विश्वास, कोई पूजा, कोई साधन इसे नहीं बचा सकता ।
धर्म यही है, कि हम अपने आत्म-स्वरूप का सत्यज्ञान तथा सत्य बोध अर्थात व्यावहारिक-ज्ञान प्राप्त करें; आत्मा की रक्षा तथा विकास प्राप्त करें; उच्चत्तम जीवन-रस प्राप्त करें; अमरत्व प्राप्त करने की विधी को सही ढंग से जीवन मे पूरा करके अमरत्व लाभ करें; मनुष्य-जीवन का सत्य-लक्ष्य जानें तथा उसके पूरा करने में अपनी सारी शक्तियों को लगाकर मनुष्य जीवन सफल करें ।
“विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा” की अद्वितीय शिक्षा के अनुसार जो उत्तर मुझे सूझ रहा है, आप सबकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ । यथा :
शरीर की तरह हमारी जीवनी-शक्ति अर्थात आत्मा भी धरती पर वर्तमान जीवन विषयक सामग्री तथा अनुकूल वातावरण की उपज है;तथा जीवन विषयक हितकर नियमों के अधीन ही सुरक्षित रह सकती है एवं विकसित हो सकती है, अन्यथा शरीर ही की तरह रोग ग्रस्त होकर दुर्बल होते होते एक दिन पूरी तरह नष्ट हो जाती है, अर्थात मर जाती है । आत्मा की रोग-ग्रस्त अवस्था ही वास्तव में इसकी अधोगति है । यदि इस अधोगति से मुक्ति न मिल सके, तो मनुष्यात्मा एक दिन पूरी तरह मर जाती है । इसका कोई विश्वास, कोई पूजा, कोई साधन इसे नहीं बचा सकता ।
धर्म यही है, कि हम अपने आत्म-स्वरूप का सत्यज्ञान तथा सत्य बोध अर्थात व्यावहारिक-ज्ञान प्राप्त करें; आत्मा की रक्षा तथा विकास प्राप्त करें; उच्चत्तम जीवन-रस प्राप्त करें; अमरत्व प्राप्त करने की विधी को सही ढंग से जीवन मे पूरा करके अमरत्व लाभ करें; मनुष्य-जीवन का सत्य-लक्ष्य जानें तथा उसके पूरा करने में अपनी सारी शक्तियों को लगाकर मनुष्य जीवन सफल करें ।