जीवन दाता भगवन !
एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की शक्तियों की लीला हम पर प्रकट करती है | केवल यही ज्योति हमें हमारे उन नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का घृणित रूप दिखाती है कि जो अन्यथा हमें बड़े सुहाने दिखाई देते हैं, और जिनका पक्षपात तथा समर्थन करने में हम एक वैश्या की न्याईं अपने दिमाग का दुरुपयोग करते हैं | एकमात्र आपकी ज्योति ही मानवता के इन भयानक शत्रुओं का असल रूप प्रकट करती है | इनका वास्तविक रूप दिखाकर आपकी ज्योति ही हमें उनसे भयभीत करती है, तथा उनके प्रति घृणा उपजाने के हेतु हमें आपकी ज्योति प्राप्त करने की प्रेरणा देती है | एकमात्र आपकी ज्योति के भव्य प्रकाश में यह सर्वथा बेकार और राक्षसी शक्तियां और उनकी कठोरता घटती है | आपकी पावन ज्योति के अदभुत प्रकाश में इन शक्तियों की वर्तमानता हमें लज्जित कर देती है | हम कितनी शान्ति अनुभव करते हैं, जब आपकी ज्योति इस प्रकार हमारे आत्मा के आंतरिक जीवन को आलोकित कर देती है | जिन्हें पहले हम अपना वरदान-रूप मित्र अनुभव करते थे, उन्हीं से अब उद्धार पाने के संग्राम में पड़ना कितना सुखद लगता है | जिन शक्तियों को अपना स्वामी बनाकर हमने दूसरों के अधिकारों का अनेकों बार अपहरण किया है और जिन अपहरणों को आपकी ज्योति प्राप्त करने से पहले हम अपने जीवन की जीत समझते थे, उन्हीं को अब सन्मुख लाकर हम अत्यंत लज्जा अनुभव करते हैं और पछताते हैं | जीवन का सारा दृष्टिकोण ही बदल जाता है, जब हमें आपकी ज्योति प्राप्त होती है | वस्तुएं, तथ्य एवं घटनाएँ अपने असल रूप में प्रकट होती हैं | जहां पहले नीच-अनुरागों तथा नीच-घृणाओं को तृप्त करने में सफल होना हमें घातक अहंकार तथा अकड़ से भर देता था, वहां अब हम यह बोध पाकर सच्ची और जीवनदायक दीनता अनुभव करते हैं, कि नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का पथ कितना घातक पथ है |
आपकी ज्योति जो काम एक झलक में कर देती है, वह कोई अन्य वस्तु हमारी सारी आयु में भी नहीं कर सकती | मैंने देखा है कि एक बेटा जो पहले वर्षों तक अपने को ठीक और अपने पिता को ग़लत ठहराता रहा और वर्षों अपने जन्म दाता से फटा रहा, आपकी ज्योति पाकर रोने लगता है | एक ही सभा में आपकी ज्योति उसके आत्मा के ऊपर से अन्धकार का पर्दा उठा देती है | उसे वह कुछ दिखाई देता है, कि जिसका उसे स्वप्न तक भी न आया था | उसे नज़र आता है कि वह अपने पिता के सम्बन्ध में कितना निर्दयी तथा कृत्घण बना रहा | पिता को उसके कारण वर्षों तक जिन दुखों और अकेलेपन में जीवन बिताना पड़ा, उसका दृश्य उसके सन्मुख आने लगता है तथा वह बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगता है और पिता के पास जाकर उसके चरणों में गिर जाता है और पिता के चरणों को अपने आंसुओं से धोने लगता है | जिस कारण यह बरबादी आई, वह अब अपने नग्न रूप में उस पर प्रकट होता है तथा उस कारण को अब वह दूर कर देता है | पिता विस्मित होकर पुकार उठता है, “तुम्हारे जीवन में यह चमत्कार कैसे हो गया !” पिता को हैरानी होनी ही थी, परन्तु यह तो सच्चा चमत्कार था, सो हो गया |
एक और घटना मेरे देखने में आई, जिसने मुझे विचारों की नई दुनिया में पहुंचा दिया | एक पति जो अब बहुत दुखी है, वह पहले भी दुखी था | एक बार उसे आपकी ज्योति पाने का अवसर मिला ……….. | उसे ऐसी लज्जा अनुभव हुई, कि जिसे अनुभव करना उसके स्वभाव के विरुद्ध था | उसने पत्नी के सम्बन्ध में अपने बुरे व्यवहार को देखा तथा अपने आप पर बहुत फिटकार डाली | परन्तु उसका दुर्भाग्य था, कि वह इस ज्योति से दूर चला गया | वह फिर उसी प्रकार दुखी रहने लगा तथा अपनी पत्नी, अपने मित्रों एवं सारी दुनिया को उसने फिर से दोषी ठहरा दिया | बड़ी आसानी से उसने अपने आपको निदोष समझ लिया | वह बहुत अध्ययनशील है, मैंने उसे समझाने का यत्न किया, परन्तु मेरा कुछ कहना काम न आया | आपकी ज्योति के उसके भीतर प्रवेश करने का कोई मार्ग नहीं रह गया था | वह फिर अपनी पत्नी के सम्बन्ध में उसी प्रकार अपराधी है | उसका घरेलु-जीवन दुखों का घर बना हुआ है | परन्तु उसे अब कुछ दिखाई नहीं देता | आह ! आपकी ज्योति के बिना हम कितने बेबस हैं !
कदाचित हम आपकी ज्योति की महिमा को देख सकें | व्यक्तियों और जातियों के हाथों में यही ज्योति एकमात्र ऐसा शस्त्र है, जो उन्हें नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का भयानक रूप दिखा सकता है, जो उन पर शासन करते हैं, जिनका मनुष्य प्रेमक है | जिनके पास आपकी ज्योति की लालटेन है, वह सावधान रहकर सुरक्षित स्थान की ओर चलते जायेंगे तथा नीच-अनुरागों एवं नीच-घृणाओं से छुटकारा पाने का भरसक संग्राम करेंगे | वही जन आत्मिक-जगत में आश्चर्यजनक फल उत्पन्न कर सकेंगे और वही जन आपके कर्मचारी होंगे | आपका मिशन उन लोगों के द्वारा अधिक सफलता से पूरा होगा, जो हल चलाने वाले हैं, परन्तु आपकी ज्योति से ज्योतिर्मान हैं, न कि उन ऊंचे दिमाग रखने वाले जनों के द्वारा कि जो आपकी ज्योति से विहीन हैं | कहलाने वाली उस शिक्षा पर से मेरा विश्वास उठता जा रहा है, जो आत्मा के विषय में तनिक भी ज्योति नहीं दे सकती | मैं आपके द्वार से यही भिक्षा माँगता हूँ कि मैं और अन्य सुपात्र-मनुष्य आपकी अद्वितीय ज्योति और उसके अनुपम महत्व की कदर कर सकें, और उसको प्रतिदिन प्राप्त करना अपना कर्तव्य समझ सकें | रक्षा और विकास का यही एकमात्र उपाय है | मैं और अन्य जन आपका आशीर्वाद पा सकें |
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एकमात्र आपकी ज्योति ही हमारा आश्रय है | केवल यही एक ज्योति हमारे आत्मा की शक्तियों की लीला हम पर प्रकट करती है | केवल यही ज्योति हमें हमारे उन नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का घृणित रूप दिखाती है कि जो अन्यथा हमें बड़े सुहाने दिखाई देते हैं, और जिनका पक्षपात तथा समर्थन करने में हम एक वैश्या की न्याईं अपने दिमाग का दुरुपयोग करते हैं | एकमात्र आपकी ज्योति ही मानवता के इन भयानक शत्रुओं का असल रूप प्रकट करती है | इनका वास्तविक रूप दिखाकर आपकी ज्योति ही हमें उनसे भयभीत करती है, तथा उनके प्रति घृणा उपजाने के हेतु हमें आपकी ज्योति प्राप्त करने की प्रेरणा देती है | एकमात्र आपकी ज्योति के भव्य प्रकाश में यह सर्वथा बेकार और राक्षसी शक्तियां और उनकी कठोरता घटती है | आपकी पावन ज्योति के अदभुत प्रकाश में इन शक्तियों की वर्तमानता हमें लज्जित कर देती है | हम कितनी शान्ति अनुभव करते हैं, जब आपकी ज्योति इस प्रकार हमारे आत्मा के आंतरिक जीवन को आलोकित कर देती है | जिन्हें पहले हम अपना वरदान-रूप मित्र अनुभव करते थे, उन्हीं से अब उद्धार पाने के संग्राम में पड़ना कितना सुखद लगता है | जिन शक्तियों को अपना स्वामी बनाकर हमने दूसरों के अधिकारों का अनेकों बार अपहरण किया है और जिन अपहरणों को आपकी ज्योति प्राप्त करने से पहले हम अपने जीवन की जीत समझते थे, उन्हीं को अब सन्मुख लाकर हम अत्यंत लज्जा अनुभव करते हैं और पछताते हैं | जीवन का सारा दृष्टिकोण ही बदल जाता है, जब हमें आपकी ज्योति प्राप्त होती है | वस्तुएं, तथ्य एवं घटनाएँ अपने असल रूप में प्रकट होती हैं | जहां पहले नीच-अनुरागों तथा नीच-घृणाओं को तृप्त करने में सफल होना हमें घातक अहंकार तथा अकड़ से भर देता था, वहां अब हम यह बोध पाकर सच्ची और जीवनदायक दीनता अनुभव करते हैं, कि नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का पथ कितना घातक पथ है |
आपकी ज्योति जो काम एक झलक में कर देती है, वह कोई अन्य वस्तु हमारी सारी आयु में भी नहीं कर सकती | मैंने देखा है कि एक बेटा जो पहले वर्षों तक अपने को ठीक और अपने पिता को ग़लत ठहराता रहा और वर्षों अपने जन्म दाता से फटा रहा, आपकी ज्योति पाकर रोने लगता है | एक ही सभा में आपकी ज्योति उसके आत्मा के ऊपर से अन्धकार का पर्दा उठा देती है | उसे वह कुछ दिखाई देता है, कि जिसका उसे स्वप्न तक भी न आया था | उसे नज़र आता है कि वह अपने पिता के सम्बन्ध में कितना निर्दयी तथा कृत्घण बना रहा | पिता को उसके कारण वर्षों तक जिन दुखों और अकेलेपन में जीवन बिताना पड़ा, उसका दृश्य उसके सन्मुख आने लगता है तथा वह बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगता है और पिता के पास जाकर उसके चरणों में गिर जाता है और पिता के चरणों को अपने आंसुओं से धोने लगता है | जिस कारण यह बरबादी आई, वह अब अपने नग्न रूप में उस पर प्रकट होता है तथा उस कारण को अब वह दूर कर देता है | पिता विस्मित होकर पुकार उठता है, “तुम्हारे जीवन में यह चमत्कार कैसे हो गया !” पिता को हैरानी होनी ही थी, परन्तु यह तो सच्चा चमत्कार था, सो हो गया |
एक और घटना मेरे देखने में आई, जिसने मुझे विचारों की नई दुनिया में पहुंचा दिया | एक पति जो अब बहुत दुखी है, वह पहले भी दुखी था | एक बार उसे आपकी ज्योति पाने का अवसर मिला ……….. | उसे ऐसी लज्जा अनुभव हुई, कि जिसे अनुभव करना उसके स्वभाव के विरुद्ध था | उसने पत्नी के सम्बन्ध में अपने बुरे व्यवहार को देखा तथा अपने आप पर बहुत फिटकार डाली | परन्तु उसका दुर्भाग्य था, कि वह इस ज्योति से दूर चला गया | वह फिर उसी प्रकार दुखी रहने लगा तथा अपनी पत्नी, अपने मित्रों एवं सारी दुनिया को उसने फिर से दोषी ठहरा दिया | बड़ी आसानी से उसने अपने आपको निदोष समझ लिया | वह बहुत अध्ययनशील है, मैंने उसे समझाने का यत्न किया, परन्तु मेरा कुछ कहना काम न आया | आपकी ज्योति के उसके भीतर प्रवेश करने का कोई मार्ग नहीं रह गया था | वह फिर अपनी पत्नी के सम्बन्ध में उसी प्रकार अपराधी है | उसका घरेलु-जीवन दुखों का घर बना हुआ है | परन्तु उसे अब कुछ दिखाई नहीं देता | आह ! आपकी ज्योति के बिना हम कितने बेबस हैं !
कदाचित हम आपकी ज्योति की महिमा को देख सकें | व्यक्तियों और जातियों के हाथों में यही ज्योति एकमात्र ऐसा शस्त्र है, जो उन्हें नीच-अनुरागों और नीच-घृणाओं का भयानक रूप दिखा सकता है, जो उन पर शासन करते हैं, जिनका मनुष्य प्रेमक है | जिनके पास आपकी ज्योति की लालटेन है, वह सावधान रहकर सुरक्षित स्थान की ओर चलते जायेंगे तथा नीच-अनुरागों एवं नीच-घृणाओं से छुटकारा पाने का भरसक संग्राम करेंगे | वही जन आत्मिक-जगत में आश्चर्यजनक फल उत्पन्न कर सकेंगे और वही जन आपके कर्मचारी होंगे | आपका मिशन उन लोगों के द्वारा अधिक सफलता से पूरा होगा, जो हल चलाने वाले हैं, परन्तु आपकी ज्योति से ज्योतिर्मान हैं, न कि उन ऊंचे दिमाग रखने वाले जनों के द्वारा कि जो आपकी ज्योति से विहीन हैं | कहलाने वाली उस शिक्षा पर से मेरा विश्वास उठता जा रहा है, जो आत्मा के विषय में तनिक भी ज्योति नहीं दे सकती | मैं आपके द्वार से यही भिक्षा माँगता हूँ कि मैं और अन्य सुपात्र-मनुष्य आपकी अद्वितीय ज्योति और उसके अनुपम महत्व की कदर कर सकें, और उसको प्रतिदिन प्राप्त करना अपना कर्तव्य समझ सकें | रक्षा और विकास का यही एकमात्र उपाय है | मैं और अन्य जन आपका आशीर्वाद पा सकें |
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