7. विज्ञान-मूलक सत्य-धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक भगवान देवात्मा के विषय मे समझने योग्य कुछ मूल बातें ।
7. देवात्मा फरमाते हैं, कि जहाँ तक भी कोई मनुष्यात्मा मेरे देव-प्रभावों को ग्रहण करता है, वहां तक उस जन की अपनी योग्यता केअनुसार उसके भीतर एक या दूसरी ऐसी बुराई या किसी ऐसे पाप के लिए घृणा प्रस्फुटित होजाना आवश्यम्भावी बात है, कि जिसे मैं घृणा करता हूँ ।सरल शब्दों में — हम जिस…