Satya Dharam Bodh Mission

2. स्वदेश के सम्बन्ध में “विज्ञान मूलक सत्य धर्म प्रवर्तक भगवान देवात्मा” की धर्म-शिक्षा —

2.  प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अति आवश्यक है, कि वह पृथ्वी के अन्य सभी देशों की अपेक्षा अपने देश के साथ अपना अधिक सम्बन्ध बोध करे, क्योंकि शेष देशों के साथ हमारा सम्बन्ध गौण  है, तथा इस गौण सम्बन्ध का श्रेय भी मुख्य सबन्धी अर्थात अपने स्वदेश को ही जाता है, तथा यदि सारे देश हमारे विरोधी भी हो जाएं, तो हमारा अपना देश ही हमारे लिए सबसे बड़ा आश्रय-स्थान है ।

हम सबके शुभ का मार्ग प्रशस्त हो ।

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